Sunday, March 25, 2012

मैं कौन हूं ?

मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ 

मैं हूँ अपने में स्वयं पूर्ण, 
पर की मुझ में कुछ गंध नहीं ।
मैं अरस अरूपी अस्पर्शी,
पर से कुछ भी संबंध नहीं ॥

मैं रंग-राग से भिन्न भेद से,
भी मैं भिन्न निराला हूँ ।
मैं हूँ अखंड चैतन्यपिण्ड,
निज रस में रमनेवाला हूँ ॥

मैं ही मेरा कर्ता-धर्ता, 
मुझ में पर का कुछ काम नहीं ।
मैं मुझ में रहनेवाला हूँ,
पर में मेरा विश्राम नहीं ॥

मैं शुद्ध बुद्ध अविरूद्ध एक,
पर-परिणती से अप्रभावी हूँ ॥
आत्मानुभूती से प्राप्त तत्व, 
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ ॥

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