Sunday, April 12, 2015

मेरे जीवन का जब अंत हो

मेरे जीवन का जब अंत हो
मेरे सामने एक् सन्त हो

मेरे होठो पर अरिहंत हो
और महावीर पंथ हो

तन में जब तक साँस हो
मन में एक विश्वास हो

मुक्ति की मुझे प्यास हो
पंडित मरण की आस हो

तन अचल और मन अचल हो
और कोई विघ्न न हो

कषायों की आग में जलता जलता आया
वासना की आग मे जलता जलता  आया

दुःख भरी इस जीवन यात्रा का अब सुखद अंत हो
मेरे जीवन का जब अंत हो
मेरे सामने एक संत हो

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