चले मिल आज प्रभु दर्शन को ।
छोड जंजाल,सुधारे नरतन को ॥
देखी प्रभु की भव्य मुरतीयाँ ,जागेगी दिल मे,ज्ञान की बत्तियाँ ।
मिटजाये तेरा ,मिथ्यात्व अंधेरा ।
जायेगी कट तेरी कर्मन रस्सीयाँ ।
कर लो पुनित निज तन मन को ॥चले मिल आज॥1
गायेगा गुण जब दिल तेरा,कट जायेगा भव भव का फेरा ।
पायेगा सुख दुख विनशाये ,हो जायेगा तेरा शिवपुर डेरा ।
प्रभु भी लेगे साथ,हर जन जन को ॥चले मिल आज॥2
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