उतना मन का अँधेरा
मिटेगा
हम रखें
सीख मन में गुरु की ,
मुक्ति का पथ
सहज ही मिलेगा
(जितनी भक्ति ..)
सब किया पर न आतम
को जाना ,
भव भवों
में भटकता दीवाना
कर्म का भोज बढता ही
जाए
जब उदय
आये जी भर
रुलाये
भेद ज्ञानी न जब तक बने हम
जन्म मृत्यु का
चक्कर चलेगा
(हम रखें सीख
...)
(जितनी भक्ति ...)
ज़िन्दगी की यही है कहानी
घट रहा
अंजुली का जो
पानी
चेतने का समय आ
गया है
जो जगा
भोर को पा
गया है
मोह की नींद त्यागे
बिना रे
राग की सेज से कब उठेगा
(हम रखें सीख
...)
(जितनी भक्ति ...)
संत तारण
तरण कुल मिला है
वीतरागी गुरु का सिला है
फिर भी
डूबे अगर भव सफीना
जान ये तर सकेगा
कभी न
ढूँढ ले
अपना आतम खज़ाना
जो अमर है
कभी न लूटेगा
(हम रखें सीख
...)
(जितनी भक्ति ...)
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