Monday, December 5, 2011

ज़रूरत - ख़्वाइश

ज़रूरत के मुताबिक ज़िंदगी जिओ, ख़्वाइशों के मुताबिक नहीं;
क्योंकि ज़रूरत तो फ़कीर की भी पूरी हो जाती है और ख़्वाइश बादशाहों की भी पूरी नहीं होती ।