Wednesday, April 20, 2011

जाना नहीं निज आत्मा


जाना नहीं निज आत्मा, ज्ञानी हुए तो क्या हुए।
ध्याया नहीं निज आत्मा, ध्यानी हुए तो क्या हुए॥1॥ जाना…
श्रुत सिद्धांत पढ़ लिए, शास्त्रवान बन गए।
आतम रहा बहिरात्मा, पंडित हुए तो क्या हुए॥2॥ जाना…
पंच महाव्रत आदरे, घोर तपस्या भी करे।
मन की कषायें ना गईं, साधु हुए तो क्या हुए॥3॥ जाना…
माला के दाने फेरते, मनुवा फिरे बाजार में।
मनका न मन से फेरते, जपिया हुए तो क्या हुए॥4॥ जाना…
गा के बजा के नाचके, पूजन भजन सदा किए।
भगवन्‌ हृदय में ना बसे, पुजारी हुए तो क्या हुए॥5॥ जाना…
करते न जिनवर दर्श को, खाते सदा अभक्ष्य को
दिल में जरा दया नहीं, मानव हुए तो क्या हुए॥6॥ जाना…
मान बड़ाई कारणे, द्रव्य हजारों खर्चते।
घर के तो भाई भूखन मरे, दानी हुए तो क्या हुए॥7॥ जाना…
रात्रि न भोजन त्यागते, पानी न पीते छान के।
छोड़े नहीं दुर्व्यसन को, जैनी हुए तो क्या हुए॥8॥ जाना…
औगुण पराए हेरते, दृष्टि न अंतर फेरते।
शिवराम एक ही नाम के शायर हुए तो क्या हुए॥9॥ जाना…

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